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शतरंज

देश के युवा ग्रांडमास्टर प्रागननंदा ने जीता एक और टूर्नामेंट

16 वर्षीय प्रागननंदा ने फाइनल राउंड में हमवतन गुकेश को हराकर नौ राउंड में 7.5 अंकों से टूर्नामेंट अपने नाम किया।

ग्रांडमास्टर प्रागननंदा
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ग्रांडमास्टर प्रागननंदा

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Amit Rajput

Updated: 13 April 2022 1:21 PM GMT

पिछले दिनों दुनिया के नंबर वन शंतरज खिलाडी मैगनस कार्लसन को हराने वाले युवा ग्रैंडमास्टर प्रागननंदा एक बार फिर सुर्खियों में है। युवा ग्रांडमास्टर प्रागननंदा ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रतिष्ठित रेकजाविक ओपन शतरंज टूर्नामेंट अपने नाम किया है। 16 वर्षीय प्रागननंदा ने फाइनल राउंड में हमवतन गुकेश को हराकर नौ राउंड में 7.5 अंकों से टूर्नामेंट अपने नाम किया। प्रागननंदा इस पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रहे। उन्होंने टूर्नामेंट में भारत के गुकेश के अलावा फ्रांस के मैथ्यू कॉर्नेट और अमेरिका के अभिमन्यू मिश्रा को भी हराया।

महज 12 साल की उम्र में बने ग्रांडमास्टर

आपको बता दे कि प्रागननंदा शंतरज में भारत के दूसरे सबसे युवा ग्रांडमास्टर है, वे मात्र 12 साल 10 महीने की उम्र में ग्रांडमास्टर बन गए थे। वे दुनिया के पांचवें सबसे युवा ग्रांडमास्टर है। वही दुनिया के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर का खिताब अमेरिका के अभिमन्यु मिश्रा के नाम है, उन्होंने यह उपलब्धि 12 साल 4 महीने की उम्र में हासिल की थी। ग्रैंडमास्टर बनने के लिए प्रागननंदा ने नवम्बर 2017 में इटली में खेले गए वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप में खिताब जीता था। इसके बाद उन्होंने हेर्कलियोन फिशर मेमोरियल में अप्रैल 2018 में खिताब जीता। इसके बाद वे चौथे ग्रेनडाइन ओपन में विजयी रहे।

नंबर वन खिलाडी कार्लसन को हारकर बटोरी थी सुर्खिया

16 वर्षीय प्रागननंदा सबसे पहले पूरे भारत में तब सुर्खियों में आये थे, जब उन्होंने दुनिया के नंबर वन शंतरज खिलाडी मैगनस कार्लसन को हराया था , उन्होंने ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैगनस कार्लसन को हराकर बड़ा उलटफेर किया था। प्रागननंदा ने 39 चालो में कार्लसन को मात दी थी। उन्होंने इस जीत के साथ ही कार्लसन के विजय अभियान पर भी रोक लगायी थी। इस जीत ने प्रागननंदा को पूरे भारत में रातों - रात सुपरस्टार बना दिया था।

बहन के साथ सीखा शंतरज

प्रागननंदा बहन वैशाली और माता-पिता के साथ

प्रागननंदा का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में ही हुआ था। प्रागननंदा के माता पिता के अलावा उनकी एक बहन है जिसका नाम वैशाली है। जबकि प्रागननंदा के पिता पोलियो से पीड़ित है। प्रागननंदा के माता - पिता उनकी बहन वैशाली के ज्यादा टीवी देखने से परेशान थे तो उन्होए वैशाली के लिए शंतरज लाकर दे दिया। जिसके बाद वैशाली के साथ साथ प्रागननंदा ने शंतरज खेलना शुरू कर दिया , तब प्रागननंदा की उम्र महज 3 साल थी। प्रागननंदा ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार अच्छा प्रदर्शन करके लगातार आगे बढ़ते रहे। उनके कोच आरबी रमेश रहे हैं. 16 साल की उम्र में प्रज्ञानानंद ने करीब 40 देशों का दौरा किया।

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