मुक्केबाजी
Women’s World Boxing Championships: निकहत जरीन, लवलीना बोरगोहेन ने विश्व चैंपियनशिप खिताब जीते
निकहत ने 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थि ताम पर 5-0 से जीत दर्ज कर लाइट फ्लाईवेट खिताब अपने नाम किया
शीर्ष भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने रविवार को दूसरा विश्व चैंपियनशिप खिताब जीता जबकि लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य का सिलसिला तोड़ते हुए पहली बार पीला तमगा अपने नाम किया।
निकहत ने 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थि ताम पर 5-0 से जीत दर्ज कर लाइट फ्लाईवेट खिताब अपने नाम किया। वहीं दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने आस्ट्रेलिया की कैटलिन पारकर को 5-2 से मात दी।
इस जीत के साथ, निकहत बॉक्सिंग दिग्गज मैरी कॉम के साथ विश्व चैंपियनशिप में दो स्वर्ण जीतने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज बन गईं, जिन्होंने प्रतियोगिता में रिकॉर्ड छह स्वर्ण पदक जीते हैं।
“मैं दूसरी बार विश्व चैंपियन बनकर बेहद खुश हूं, खासकर एक अलग वर्ग में। आज का मुकाबला पूरे टूर्नामेंट में मेरा सबसे कठिन था और चूंकि यह टूर्नामेंट का आखिरी मैच था इसलिए मैं अपनी ऊर्जा का पूरा उपयोग करना चाहती थी और सब कुछ रिंग में झोंक देना चाहती था। यह बाउट एक रोलरकोस्टर की तरह था जिसमें हम दोनों को चेतावनी के साथ-साथ आठ काउंट भी मिले और यह बहुत करीबी मामला था। अंतिम राउंड में मेरी रणनीति थी कि मैं पूरी ताकत से आक्रमण करूं और जब विजेता के रूप में मेरा हाथ उठा तो मुझे बहुत खुशी हुई। यह पदक भारत और उन सभी के लिए है जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट में हमारा समर्थन किया है" निकहत ने अपनी बाउट के बाद कहा।
इस साल के टूर्नामेंट के लिए फ्लाइवेट से लाइट फ्लाइवेट में जाने के बावजूद, तेलंगाना की 26 वर्षीय मुक्केबाज ने अपने नए भार वर्ग में बहुत अच्छी तरह से खुद को अनुकूलित किया और पूरे टूर्नामेंट में उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन किया। उन्होंने उल्लेखनीय रूप से शीर्ष वरीय और अल्जीरिया की अफ्रीकी चैंपियन रौमेसा बौआलम, दो बार की विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता थाईलैंड की चुथमत रक्सत और रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया को पछाड़ दिया।
निकहत की जीत पर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, “निकहत को लगातार दूसरे साल विश्व चैंपियन बनने पर बधाई। मुझे यकीन है कि वह देश भर की युवा लड़कियों के लिए देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने का एक चमकदार उदाहरण बनेंगी। वह आने वाले वर्षों के लिए एक चैंपियन बनने जा रही है और हम निश्चित रूप से 2024 में यहां से ओलंपिक पदक देखेंगे।”
वहीं टोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना ने 69 किलो वर्ग में पहली बार स्वर्ण पदक जीता। उनका यह भारवर्ग हालांकि ओलंपिक में नहीं है।
पहले राउंड में उसे लंबे कद का काफी फायदा मिला हालांकि पार्कर ने भी सटीक वार किये। लवलीना ने हालांकि 3-2 की बढत ले ली। दूसरे राउंड में लवलीना ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और करीब से आक्रमण किया। उसका हालांकि ज्यादा फायदा नहीं मिला और पार्कर ने बढत बना ली। आखिरी राउंड में मुकाबला बराबरी का रहा और रिव्यू में लवलीना को विजयी घोषित किया गया।
जीत के बाद उन्होंने कहा, ‘‘यह फाइनल था तो मैं तनाव में थी लेकिन मैने कोचों के निर्देशों पर अमल किया । मुझे खुशी है कि स्वर्ण जीतकर भारत को गौरवान्वित कर सकी।’’
निकहत और लवलीना की जीत के बाद, भारत के पास अब टूर्नामेंट में कुल चार स्वर्ण हैं, 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता नीतू घनघास (48 किग्रा) और तीन बार की एशियाई पदक विजेता स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ने भी शनिवार को मेजबान टीम के लिए स्वर्ण पदक जीता।
इसी के साथ 17 साल बाद पहली बार भारत को मुक्केबाजी में चार स्वर्ण पदक मिले हैं। भारत ने 2006 में अपनी मेजबानी में चार स्वर्ण पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जिसमें देश के नाम आठ पदक रहे थे।