Begin typing your search above and press return to search.

मुक्केबाजी

Women’s World Boxing Championships: भारत का चार स्वर्ण पदकों के साथ 17 वर्षों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

भारतीय मुक्केबाजी इतिहास में यह दूसरा मौका है जब भारत ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में एक साथ चार स्वर्ण पदक जीते हैं

Nikhat Zareen Lovlina Borgohain Boxing
X

निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन

By

Bikash Chand Katoch

Updated: 27 March 2023 7:27 AM GMT

भारत ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सबसे अधिक चार स्वर्ण पदकों के साथ अपने शानदार अभियान का समापन किया। भारत की निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन ने बेहतरीन और आक्रामक मुक्केबाजी के दम पर रविवार को इंदिरा गांधी खेल परिसर में हुए फाइनल मुकाबलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इससे पहले, शनिवार को भारत ने दो स्वर्ण पदक जीते थे।

मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत (50 किग्रा) ने रविवार को वियतनाम की गुयेम थी टैम को हराकर टूर्नामेंट में लगातार दूसरे साल स्वर्ण पदक जीता, जबकि टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना (75 किग्रा) ने अंकों के आधार पर 5-2 से जीत के साथ अपना पहला विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीता। उनकी प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर के खिलाफ बाउट रिव्यू के बाद लवलीना को विजेता घोषित किया गया।

इससे पहले, 2022 राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता नीतू घनघस (48 किग्रा) और तीन बार की एशियाई पदक विजेता स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ने मेजबान टीम के लिए शनिवार को दो स्वर्ण पदक जीते थे। सभी चार मुक्केबाजों को विश्व चैंपियन बनने के लिए पुरस्कार राशि के रूप में 82.7 लाख रुपये ($100,000) से पुरस्कृत किया

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने स्वर्ण पदक विजेताओं की जमकर सराहना की और कहा, "हमें उन सभी मुक्केबाजों पर बेहद गर्व है, जिन्होंने अपने स्वर्ण पदकों के साथ इतिहास रचा है। इतने उत्साही दर्शकों के सामने घर में चार स्वर्ण पदक हासिल करना एक शानदार उपलब्धि है। इन मुक्केबाजों का प्रदर्शन निस्संदेह देश की युवा लड़कियों को आगे और पदक जीतने और भारतीय मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रेरित करेगा। बीएफआई में हर कोई निकहत, नीतू, लवलीना और स्वीटी को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए बधाई देना चाहता है और हम आगामी एशियाई खेलों में उनसे इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं।"

अपने नाम के अनुरूप औऱ लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत (50 किग्रा) ने दो बार की एशियाई चैंपियन वियतनाम की गुयेन थी टैम के खिलाफ अपने आक्रामक प्रदर्शन के साथ मुकाबले को आगे बढ़ाया और सटीक मुक्के मारकर और अपने तेज फुटवर्क का इस्तेमाल करके बाउट में अपना दबदबा कायम रखा। निखत ने अपना संयम बनाए रखा और एक सनसनीखेज आक्रामक प्रदर्शन के साथ यह साबित कर दिया कि क्यों वह इस खेल में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक है। और इस तरह निखत सभी जजों को प्रभावित करते हुए एकतरफा अंदाज में जीत हासिल करने में सफल रहीं।

इस जीत के साथ, निकहत भारत की महान मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की बराबरी पर आ गई हैं। मैरी कॉम ने भी विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो स्वर्ण जीता है। मैरी ने हालांकि इस वैश्विक प्रतियोगिता में रिकॉर्ड छह स्वर्ण पदक जीते हैं।

निकहतने दूसरा स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, “मैं दूसरी बार विश्व चैंपियन बनकर बेहद खुश हूं, खासकर एक अलग वेट कटेगरी में। पूरे टूर्नामेंट में आज का मुकाबला मेरा सबसे कठिन मुकाबला था और चूंकि यह टूर्नामेंट का आखिरी मैच था इसलिए मैं अपनी ऊर्जा का पूरी तरह से उपयोग करना चाहती थी और सब कुछ रिंग में छोड़ देना चाहती थी। यह बाउट का एक रोलर कोस्टर था, जिसमें हम दोनों को चेतावनी के साथ-साथ आठ काउंट भी मिले और यह बहुत करीबी मुकाबला था। अंतिम राउंड में मेरी रणनीति थी कि मैं पूरी ताकत से आक्रमण करूं और जब विजेता के रूप में मेरा हाथ उठा तो मुझे बहुत खुशी हुई। यह पदक मेरे देश और उन सभी के लिए है जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट में हमारा समर्थन और हमारी हौसला अफजाई की है।"

अपने पहले विश्व चैंपियनशिप फाइनल में खेलते हुए लवलीना को दो बार के राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता पार्कर के खिलाफ कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, लेकिन करीबी मुकाबले में के बाद आगे आने के लिए उन्होंने विश्व स्तरीय प्रदर्शन किया। काफी समय तक मुकाबला आगे-पीछे होता रहा और भारतीय ने अपने प्रतिद्वंद्वी को पहले राउंड में 3-2 के अंतर से हरा दिया। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने अगले राउंड में 4-1 से जीत दर्ज की। अंतत: असम में जन्मी इस 25 वर्षीय मुक्केबाज ने अपने विशाल अनुभव और सर्वोच्च तकनीकी क्षमता का उपयोग करके अपने प्रतिद्वंद्वी को अंतिम राउंड में पछाड़ दिया और अपना तीसरा वैश्विक पदक हासिल किया।

बाउट के बाद लवलीना ने कहा, "मैं विश्व चैंपियन बनकर और अपने देश के लिए स्वर्ण जीतकर खुश महसूस कर रही हूं। चूंकि प्रतिद्वंद्वी मजबूत थी इसलिए हमने उसके गेमप्ले के अनुसार बाउट के लिए रणनीति बदल दी थी। हमारी योजना पहले दो राउंड फ्रंट फुट पर लड़ने और फिर आखिरी राउंड में दूरी से जवाबी हमला करने की थी। मैंने 2018 और 2019 में कांस्य पदक जीता था इसलिए पदकों का रंग बदलकर स्वर्ण करना अच्छा लग रहा है।"

भारतीय मुक्केबाजी इतिहास में यह दूसरा मौका है जब भारत ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में एक साथ चार स्वर्ण पदक जीते हैं। इससे पहले इस तरह का एकमात्र अवसर 2006 में आया था जब मैरी कॉम, सरिता देवी, जेनी लालरेमलियानी और लेखा के.सी ने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था।

इससे पहले रविवार को ही 54 किग्रा भार वर्ग में, टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता चीनी ताइपे की हुआंग सियाओ-वेन ने कोलंबिया की एरियस कास्टानेडा येनी मार्सेला को 5-0 से हराकर विश्व चैंपियनशिप में अपना दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया।

20 करोड़ रुपये के विशाल पुरस्कार पूल के साथ इस प्रतिष्ठित वैश्विक इवेंट में 12 भार वर्गों में 65 देशों की कई ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाजों सहित 324 मुक्केबाजों ने भाग लिया।

पदक विजेता भारतीय खिलाड़ी:

स्वर्ण पदक : नीतू घणघस (48 किग्रा), निकहत जरीन (50 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा) और स्वीटी बूरा (81 किग्रा)

Next Story
Share it