मुक्केबाजी
विश्व चैंपियनशिप की टीम में जगह न मिलने पर तीन महिला मुक्केबाजों ने खटकाया कोर्ट का दरवाजा
भारतीय टीम में नहीं चुने जाने वाली मंजू रानी, शिक्षा नरवाल और पूनम पूनिया ने राष्ट्रीय महासंघ पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में मामला दर्ज करवाया हैं।
कुश्ती के बाद अब मुक्केबाजी में भी विवाद छिड़ गया हैं। तीन युवा मुक्केबाजों ने राष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए न्यायालय में याचिका डाली हैं। विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में नहीं चुने जाने वाली मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन मंजू रानी, शिक्षा नरवाल और पूनम पूनिया ने सोमवार को राष्ट्रीय महासंघ पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में मामला दर्ज करवाया हैं। जिसके बाद न्यायालय इस मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगा।
तीनों मुक्केबाजों ने न्यायालय में रिट याचिका दर्ज कर तर्क दिया कि उन्हें छोड़कर दिसंबर 2022 में भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सभी स्वर्ण पदक विजेताओं को भारतीय टीम में जगह दी गयी है।
इसके मुताबिक, ‘‘याचिकाकर्ताओं ने महिला विश्व चैंपियनशिप में चयन के लिए उनके नाम पर विचार करने के लिए संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है, लेकिन उन्हें कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला।’’
मंजू ने कहा, ‘‘जब नौ अन्य मुक्केबाजों (जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल की) का सीधा चयन हो गया तो रेलवे की टीम से जुड़े हम तीनों को क्यों नहीं चुना गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बार में बीएफआई (भारतीय मुक्केबाजी महासंघ) को लिखा और अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।’’
जब बीएफआई से इस मामले को पूछा गया था उन्होंने बताया कि पुरुषों और महिलाओं की विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए नयी चयन नीति का पालन किया। इसमें मंजू (48 किग्रा), शिक्षा (54 किग्रा) तथा पूनम (60 किग्रा) 12 सदस्यीय टीम में जगह नहीं बना सकीं।
बीएफआई सचिव हेमंत कलिता ने कहा, ‘‘हमने सुनिश्चित किया कि सभी मुक्केबाजों को नयी चयन नीति के बारे में पता हो, यह वेबसाइट पर भी है। वे मूल्यांकन के बारे में शिविर में भी जानते थे। हमने उन्हें हिंदी इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बता दिया था।’’