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मुक्केबाजी

एशियाई खेलों के साथ मुक्केबाजी को अलविदा कहना चाहती हैं मैरी कॉम

मैरी कॉम विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगी लेकिन वह प्रतियोगता की ब्रांड एम्बेसडर के रूप में काम करेंगी

एशियाई खेलों के साथ मुक्केबाजी को अलविदा कहना चाहती हैं मैरी कॉम
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Bikash Chand Katoch

Published: 13 March 2023 4:29 PM GMT

छह बार की विश्व चैम्पियन मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम के पास पूर्ण फिटनेस हासिल करने के लिए अधिक समय नहीं हैं क्योंकि उनकी नजरें एशियाई खेलों के साथ मुक्केबाजी को अलविदा कहने पर टिकी हैं। मैरी कॉम को अगले साल संन्यास लेने के लिए ‘बाध्य’ होना पड़ेगा। मैरी कॉम विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगी लेकिन वह बॉलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर के साथ प्रतियोगता की ब्रांड एम्बेसडर के रूप में काम करेंगी।

पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के चयन ट्रायल के दौरान अपने बाएं घुटने के मुड़ने के कारण इस अनुभवी मुक्केबाज का एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) टूट गया था और अगस्त में उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। मैरी कॉम ने महिला विश्व चैम्पियनशिप से पहले भारतीय टीम की जर्सी के अनावरण के मौके पर कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल के दौरान जो हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। मुझे बड़ी चोट लगी और मुझे सर्जरी करवानी पड़ी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जल्द वापसी की कोशिश कर रही हूं क्योंकि मेरे पास केवल इस साल का समय है, अगले साल मैं संन्यास लेने के लिए मजबूर हो जाऊंगी। इसलिए इस साल मैं संन्यास से पहले किसी भी प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हूं।’’

नियमों के मुताबिक मुक्केबाज के लिए भागीदारी की अधिकतम उम्र 40 साल है और मणिपुर की यह मुक्केबाज नवंबर में 41 साल की हो जाएगी। मैरी कॉम ने कहा, ‘‘मैं संन्यास नहीं लेना चाहती। मैं अगले पांच वर्षों तक प्रतिस्पर्धा करना चाहती हूं लेकिन 40 की उम्र से ऊपर हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, यही नियम है। मेरा मुख्य लक्ष्य एशियाई खेल हैं, उम्मीद है कि मैं तब तक ठीक हो जाऊंगी। मेरे पास तैयारी के लिए भी समय होगा। संन्यास से पहले इस साल एक बार प्रतिस्पर्धा करना मेरा सपना है।’’

पिछले साल स्थगित किए गए एशियाई खेल इस साल 23 सितंबर से आठ अक्टूबर तक होने हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी रिकवरी बहुत अच्छी चल रही है। बहुत जल्द मैं दौड़ने और ट्रेनिंग करने में सक्षम हो जाऊंगी। मैं अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हूं। अगर मैं प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो जाती हूं तो मैं चयन के लिए मुक्केबाजों को हराने की कोशिश करूंगी। लेकिन अगर मैं एशियाई खेलों के लिए फिट नहीं होती हूं तो मैं एक बार किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हूं।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह संन्यास के बाद पेशेवर बनने की योजना बना रही हैं तो मैरी कॉम ने कहा कि उन्होंने अभी तक फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘पेशेवर मुक्केबाजी भी आसान नहीं है। लेकिन आसान बात यह है कि एक साल में केवल दो या एक प्रतियोगिता होती है और पैसा अधिक होता है। एमेच्योर और पेशेवर अलग होते हैं।’’

मैरी कॉम का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में हुए तीव्र बदलावों के कारण महिला मुक्केबाजों को ज्यादा अवसर मिल रहे हैं। मैरी कॉम ने कहा, “पिछले कुछ सालों में (महिला मुक्केबाजी का परिदृश्य) काफी हद तक बदला है। पुरुष मुक्केबाजी की तुलना में महिलाओं के आयोजन ज्यादा नहीं होते थे। पहले (राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में) कुछ राज्यों की महिलाएं ही हिस्सा लेती थीं। अब हम देखते हैं कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं या विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताओं में, भारत में जितनी भी प्रतियोगिताएं होती हैं उनमें सभी राज्य अपनी महिलाओं को भेज रहे हैं। सिर्फ सीनियर महिलाओं के लिये ही नहीं बल्कि यूथ, जूनियर और सब-जूनियर स्तर पर भी लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा खेलने का मौका मिल रहा है। साथ ही अच्छा प्रदर्शन करने पर उन्हें विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल होता है।”

मैरी कॉम को उम्मीद है कि भारतीय टीम स्वदेश में तीन स्वर्ण पदक हासिल कर सकती है। वर्ष 2006 और 2018 में भारत की इस प्रतियोगिता की मेजबानी के दौरान स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरी कॉम ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत कम से कम तीन स्वर्ण जीतेगा। पिछले कई वर्षों से हमारी लड़कियां अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। इस बार हम मेजबानी कर रहे हैं तो क्यों नहीं।’’

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने टूर्नामेंट के लिए बड़ी पुरस्कार राशि की घोषणा की है जिसमें स्वर्ण पदक विजेता को एक लाख अमेरिकी डॉलर, रजत पदक विजेता को 50 हजार अमेरिकी डॉलर और कांस्य पदक विजेता को 25 जार अमेरिकी डॉलर दिए जाएंगे। दो सप्ताह तक चलने वाले इस आयोजन में भारतीय मुक्केबाजी दल में नीतू घघास (48 किग्रा), निकहत ज़रीन (50 किग्रा), साक्षी चौधरी (52 किग्रा), प्रीति (54 किग्रा), मनीषा मौन (57 किग्रा), जैसमीन लम्बोरिया (60 किग्रा), शशि चोपड़ा (63 किग्रा), मंजू बम्बोरिया (66 किग्रा), सनमचा चानू (70 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा), स्वीटी बूरा (81 किग्रा) और नूपुर श्योराण (81+ किग्रा) शामिल हैं।

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