बैडमिंटन
Commonwealth Games 2022: भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों से लोगों को पदक की उम्मीद, पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन समेत अन्य पर टिकी है नज़रे
2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने दो स्वर्ण पदक सहित कुल छह पदक जीते थे
बर्मिंघम में आयोजित होने वाले आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने जमकर तैयारी की हैं।
भारतीय शटलर्स पिछले 50 सालों से ज्यादा से देश को इन खेलों में पदक जितवा रहे हैं। यही वजह है की इस बार भी लोगों को बैडमिंटन खिलाड़ियों से ज्यादा पदक की उम्मीदें हैं।
पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन सहित अन्य स्टार खिलाड़ियों की नज़र आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक हासिल करने पर हैं।
बैडमिंटन की व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने के लिए भारत की ओर से बड़े दावेदारों मे सिंधु के अलावा विश्व चैंपियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीतने वाले किदांबी श्रीकांत और लक्ष्य सेन भी शामिल हैं।
महिला एकल प्रतियोगिता में सिंधु अभी तक स्वर्ण पदक जीतने में नाकाम रही हैं। उन्होंने पिछले दो खेलों में रजत और कांस्य पदक जीते थे। लेकिन इसबार सिंधु की तैयारी स्वर्ण पदक हासिल करने वाले प्रबल दावेदार के रूप में हैं। उन्हें विश्व में 13वें नंबर की खिलाड़ी और 2014 की चैंपियन कनाडा की मिशेली ली, स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमर और सिंगापुर की इयो जिया मिन से चुनौती मिलने की संभावना है
वहीं पुरुष एकल में भारत को थॉमस कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले लक्ष्य सेन और श्रीकांत किदाम्बी पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। श्रीकांत 2018 में स्वर्ण पदक से चूक गए थे। उन्हें फाइनल में ली चोंग वेई ने हराया था।
श्रीकांत और सेन को विश्व चैंपियन लोह कीन इयू और मलेशिया के एनजी जे यंग से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
2018 मे हुए खेलों में चिराग शेट्टी और सात्विकसाइराज रंकीरेड्डी ने रजत पदक जीता था, पर इस बार वह अपने पदक का रंग बदलना चाहेंगे।
व्यक्तिगत प्रदर्शन के अलावा इस बार ध्यान मिश्रित टीम स्पर्धा में भारत के प्रदर्शन पर भी रहेगा। गोल्ड कोस्ट में युवा भारतीय टीम ने मलेशिया की मजबूत टीम को हराकर पहली बार स्वर्ण पदक हासिल किया था।
गौरतलब है कि भारत को मिश्रित टीम स्पर्धा में ग्रुप एक में ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी कमजोर टीमों के साथ रखा गया है। ऐसे में उसके लिए नॉकआउट में जगह बनाना काफी आसान होगा। जिसके बाद खिलाड़ियों की असली परीक्षा क्वार्टर फाइनल से शुरू होगी।
मिश्रित टीम स्पर्धा में दो एकल और तीन युगल मैच होंगे। ऐसे में सिंधु, सेन और श्रीकांत भारत को दो महत्वपूर्ण अंक दिला सकते हैं लेकिन विशेष ज़िम्मेदारी युगल खिलाड़ियों पर होगी, विशेषकर विश्व में आठवें नंबर की जोड़ी चिराग और सात्विक पर, जिनसे लोगों को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद हैं।
हालाकि महिला युगल में भारत की तरफ से नई जोड़ियां उतरेंगी। गायत्री गोपीचंद और ट्रीसा जॉली ने अप्रैल में हुए चयन ट्रायल में शीर्ष पर रहकर क्वालीफाई किया था लेकिन, गायत्री को लगी चोट के कारण उन्होंने एशियाई चरण की प्रतियोगिताओं में अधिक भाग नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने मलेशिया मास्टर्स में वापसी की लेकिन कुछ खास प्रदर्शन करने में नाकाम रही।
इसके अलावा अश्विनी पोनप्पा चौथी बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेंगी,अश्विनी इस बार मिश्रित युगल में बी सुमित रेड्डी के साथ जोड़ी बनाएगी।
आपको बता दें भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन से पहला पदक 1966 में दिनेश खन्ना ने जिताया था। किंग्सटन, जमैका में हुए खेलों में उन्होंने कांस्य पदक हासिल कर देश का नाम रौशन किया था। तब से लेकर अब तक भारत कुल 25 पदक जीत चुका है जिसमें सात स्वर्ण पदक भी शामिल हैं।
राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन की पदक सूची में भारत तीसरे स्थान पर है। वहीं 109 पदक पदक जीतकर इंग्लैंड आठ बार का विजेता और 64 पदक हासिल कर मलेशिया पांच बार का चैंपियन है।
2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया था और दो स्वर्ण पदक सहित कुल छह पदक जीते थे। इस बार भी लोगों को उम्मीद है की बैडमिंटन खेल से ज्यादा से ज्यादा पदक भारत की झोली में आयेंगे।