बैडमिंटन
बैडमिंटन के दिग्गज खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण मना रहे आज 67वां जन्मदिन
उन्होंने आल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतकर देश के लाखों युवाओं को यह सपना देखने का अधिकार दिया कि वो बतौर करियर बैडमिंटन को चुन सकते हैं
देश और दुनिया में खेले तो कई सारे खेल जाते हैं लेकिन कुछ ही खेल ऐसे होते हैं, जो सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि ब्रांड होते हैं। और इन खेलों को ब्रांड बनाते हैं उस खेल के खिलाड़ी। कुछ ऐसे ही बैडमिंटन खेल के दिग्गज खिलाड़ी है, प्रकाश पादुकोण। जिन्होंने भारत में बैडमिंटन को खेल ही नहीं बल्कि एक ब्रांड बनाया है और बैडमिंटन के खेल को एक अलग ही मुकाम पर पहुंचाया है।
राष्ट्रमंडल खेलों में जीता स्वर्ण पदक
प्रकाश पादुकोण आज अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म आज के ही दिन 1955 में कर्नाटक में हुआ था। वे अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के पिता भी है। प्रकाश को शुरू से ही बैडमिंटन खेलना काफी पसंद था। उन्होंने देश के लिए पहली बड़ी उपलब्धि 1978 के राष्ट्रमंडल खेलों में हासिल की। जहां उन्होेंने देश के लिए पहली बार स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 1980 से 1985 के दौरान 15 अंतर्राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए।
पहली बार जीता आल इंग्लैंड चैंपियनशिप
इस दौरान 1980 में आल इंग्लैंड चैंपियनशिप में जीत सबसे महत्वपूर्ण रही। जहां 1980 से पहले भारतीय बैडमिंटन टीम आल इंग्लैंड चैंपियनशिप में केवल भागीदार के तौर पर जाती थी, लेकिन उन्होंने उस साल आल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतकर देश के लाखों युवाओं को यह सपना देखने का अधिकार दिया कि वो बतौर करियर बैडमिंटन को चुन सकते हैं। वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे। इस खिताब को जीतने के बाद वे दुनिया के नंबर वन बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए। इसके बाद 1981 में उन्होंने एल्बा वर्ल्ड कप पर कब्जा किया। वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे।
1989 में लिया संन्यास
साल 1989 में प्रकाश पादुकोण ने बैडमिंटन को अलविदा कह दिया। लेकिन देश के लिए उनके योगदान के कारण भारत ने उनको की पुरस्कारों से नवाजा है। भारत सरकार ने 1972 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार, 1982 में पद्म श्री से सम्मानित किया। प्रकाश पादुकोण के उस दौर को भारत के बैडमिंटन के स्वर्णिम दौर में से एक माना जाता है। पूरा भारत वर्ष बैडमिंटन में प्रकाश पादुकोण के योगदान को कभी नहीं भूल सकता है।