एथलेटिक्स
Year 2022: भारतीय एथलेटिक्स के लिए उतार-चढ़ाव भरा साल, कई खिताब हुए हासिल, कई खिलाड़ियों पर डोपिंग के आरोप
भारतीय एथलेटिक्स की कामयाबी में अहम योगदान देने वाले स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने इस साल कई खिताब अपने नाम किए
एथलेटिक्स के लिए बीता साल उतार चढ़ाव भरा रहा। जहां एक ओर राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन कर इतिहास रचा तो वहीं कई एथलीट डोप टेस्ट में फेल साबित हुए। भारतीय एथलेटिक्स की कामयाबी में अहम योगदान देने वाले स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने इस साल कई खिताब जीतकर अपना और देश का और नाम रौशन किया। हालाकि अपनी चोट के कारण वह बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं ले पाए। लेकिन उन्होंने इस समय का भरपूर फायदा उठाया और दमदार वापसी करते हुए डायमंड लीग चैम्पियन के फाइनल्स का विजेता बनने वाले पहले भारतीय बन गए। नीरज का इस साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 89.94 मीटर रहा है।
नीरज राष्ट्रमंडल खेलों में भाग नही ले पाए, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में भारतीय खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर भारत के लिए पदक हासिल किए। इसमें सबसे अहम पुरुषों की त्रिकूद में एल्डोज पॉल और अब्दुल्ला अबुबकर द्वारा पहला और दूसरा स्थान हासिल करना था। वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय राष्ट्रमंडल टीम में जगह बनाने वाले ऊंची कूद खिलाड़ी तेजस्विन शंकर ने भी खुद को साबित करते हुए कांस्य पदक जीता। राष्ट्रमंडल खेलों के अन्य पदक विजेताओं में अनु रानी का महिला भाला फेंक में कांस्य, प्रियंका गोस्वामी का महिलाओं की 10,000 मीटर पैदल चाल में रजत और संदीप कुमार का पुरुषों की 10,000 मीटर पैदल चाल में कांस्य शामिल थे।
इसके अलावा भारतीय एथलीटों ने कोलंबिया में आयोजित अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में भी तीन पदक हासिल किए, जिसमें से दो पदक उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की रहने वाली किसान की बेटी रूपल चौधरी ने ही अपने नाम किए।
इन उपलब्धियों के अलावा यह साल भारतीय एथलेटिक्स के लिए निराशाजनक भी रहा। इस साल एक दो नहीं बल्कि कई खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए। टोक्यो ओलंपिक में चक्का फेंक स्पर्धा में छठे स्थान पर रही कमलप्रीत कौर को डोपिंग के लिए पॉजिटिव पाये जाने के बाद एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट ने तीन साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। कमलप्रीत के साथ ही ओलंपिक भाला फेंक खिलाड़ी शिवपाल सिंह को भी 'स्टेरॉयड मेटैंडिओनोन' के सेवन का दोषी पाया गया, जिसके लिए उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा।
इन दोनों के अलावा विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों से ठीक पहले शीर्ष धावक सेकर धनलक्ष्मी और ऐश्वर्या बाबू के डोप पॉजिटिव पाये जाने की वजह से देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। इस लिस्ट में बड़े नामों में से एक नाम अर्जुन पुरस्कार विजेता अनुभवी धाविका एमआर पूवम्मा का है, जिन्हें डोपिंग का दोषी पाया गया और 2 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। वहीं चक्का फेंक खिलाड़ी नवजीत कौर ढिल्लों भी डोपिंग की दोषी पाई गई।
इतने सारे डोपिंग के मामले सामने आने पर लंबी कूद की दिग्गज खिलाड़ी और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंजू बॉबी जॉर्ज ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि जो एथलीट विदेशों में प्रशिक्षण लेते हैं, वे वहां से प्रतिबंधित दवाओं को लाकर अपने कुछ सहयोगियों के बीच वितरण करते है।
गौरतलब है कि साल के खत्म होते होते भारतीय एथलेटिक्स को एक बड़ी कामयाबी मिली हैं। भारत की 'गोल्डन गर्ल' यानी कि पीटी उषा को हाल ही में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुन लिया गया है। खास बात यह है कि वह आईओए की पहली महिला अध्यक्ष बनी हैं।