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एथलेटिक्स

भारत की अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक खिलाड़ी की हुई दयनीय स्थिति, दो समय का भोजन भी नहीं हो पा रहा नसीब

मारिया गोरोती खलखो ने कई राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है और देश के लिए कई पदक जीते हैं

भारत की अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक खिलाड़ी की हुई दयनीय स्थिति, दो समय का भोजन भी नहीं हो पा रहा नसीब
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Amit Rajput

Updated: 28 Jun 2022 11:09 AM GMT

कहते हैं जब तक कोई खिलाड़ी मैदान पर अपने खेल से जौहर दिखाता है, तब तक उस खिलाड़ी के पास काफी नाम, शोहरत और पैसा होता है। लेकिन जैसे जैसे ही वह खिलाड़ी खेल के मैदान से दूर जाता जाता है, वैसे वैसे उसके पास से यह सब भी दूर जाता जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी और स्थिति भारत की पूर्व अंतरराष्ट्रीय भालाफेंक खिलाड़ी मारिया गोरोती खलखो की। जो जब तक मैदान पर नजर आती थी तब तक उनके पास काफी पैसा और शोहरत थी। लेकिन जैसे ही वें मैदान से दूर जाने लगी उनके पास से यह सब भी दूर जाने लगा। और उनकी आज यह स्थिति बन गईं हैं कि उनके पास आज खुद के पेट भरने लायक भी पैसे नहीं है।

मारिया गोरोती खलखो ने कई राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है और देश के लिए कई पदक जीते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन खेल को समर्पित कर दिया। यही कारण रहा कि उन्होंने किसी शादी भी नहीं की। उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के बाद उन्होंने अपने जीवन के लगभग 30 वर्ष अन्य एथलीटों को भालाफेंक के प्रशिक्षण में बिताए। लेकिन आज वह फेफड़ों की बीमारी के कारण सांस के लिए भी हांफ रही हैं और हमेशा बिस्तर पर रहती हैं। उन्हें चलने के लिए भी सहारे की जरूरत पड़ती है। अफसोस की बात है कि अपने जमाने की एक प्रतिष्ठित एथलीट के पास आज अपने लिए दवा और खाना खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं।

वर्तमान में वह अपनी बहन के घर निवास कर रही है। लेकिन उनकी बहन के घर की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वही पिछले कुछ महीनों में उनका स्वास्थ्य इस तरह से खराब हो गया है कि खेल के मैदान में कभी मजबूत ताकत दिखाने वाले हाथ अब एक गिलास पानी तक उठा नहीं पाते हैं। फरवरी में एक न्यूज एजेंसी ने मारिया की बीमारी और खराब वित्तीय स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, झारखंड खेल विभाग ने उनकी स्थिति पर ध्यान दिया और उन्हें तत्काल 25,000 रुपये की सहायता दी थी। इससे पहले विभाग ने मारिया की बीमारी से लड़ने में मदद के लिए खिलाड़ी कल्याण कोष से एक लाख रुपये की आर्थिक मदद की थी, लेकिन महंगी दवाओं और इलाज के कारण यह राशि जल्द ही समाप्त हो गई।

अच्छी हेल्थ और तंदुरुस्ती के लिए डॉक्टरों ने मारिया को दूध पीने, अंडे खाने और पौष्टिक भोजन करने की सलाह दी है, लेकिन जब वह एक दिन में दो वक्त का भोजन नहीं कर सकती, तो पौष्टिक भोजन कैसे खरीदेंगी? दवाओं पर ही हर महीने 4,000 रुपये से ज्यादा खर्च हो जाता है। फेफड़ों की बीमारी की शुरुआत के बाद से मारिया पर 1 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज है।

वही मारिया की हालिया स्थिति को लेकर झारखंड ग्रैपलिंग एसोसिएशन के प्रमुख प्रवीण सिंह का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व खिलाड़ियों की मदद के लिए कई घोषणाएं करने के बावजूद उनकी मदद के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई। सिंह ने आगे कहा कि जब मीडिया ऐसे खिलाड़ियों की दुर्दशा का मुद्दा उठाता है, तभी उन्हें आवश्यक मदद मिल पाती है।

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