एथलेटिक्स
स्टॉकहोम्स डायमंड लीग में पदक के लिए नीरज चोपड़ा की तगड़ी दावेदारी
नीरज चोपड़ा ने कहा, 'हमारा मुख्य लक्ष्य विश्व चैम्पियनशिप और राष्ट्रमंडल खेल हैं।'
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नीरज चोपड़ा
सत्र में दमदार शुरुआत करने के बाद ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा स्टॉकहोम डायमंड लीग में पदक हासिल करने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में, भाला फेंक खिलाड़ी नीरज ने तुर्कु के अंदर पावो नुरमी खेलों में 89.30 का थ्रो फेंककर रजत पदक जीता तथा कुओर्ता में हुए खेलों में 86.60 मीटर के साथ शीर्ष पर रहे।
बता दें फिनलैंड में हुए इन दोनों टूर्नामेंटों में मुकाबला कड़ा था। कुओर्ताने में बारिश के कारण फिसलन की वजह से तीसरे प्रयास में चोपड़ा गिर भी गए थे लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और तुरंत खड़े होकर चोटिल हुए बिना खिताब अपने नाम कर लिया। चोपड़ा ने कहा, 'हमने दिसंबर में अभ्यास शुरू किया जो देर से था। मुझे फिर से फिट होना होगा क्योंकि टोक्यो ओलंपिक के बाद मेरा वजन भी बढ़ गया है।'
उन्होंने टूर्नामेंट से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'मेरा वजन 13.14 किलो बढ़ गया तो लक्ष्य फिर से फिट होने पर है। यही वजह है कि सत्र की शुरूआत देर से की।' उन्होंने कहा, 'हमारा मुख्य लक्ष्य विश्व चैम्पियनशिप और राष्ट्रमंडल खेल हैं।'
ज्यूरिख के अंदर अगस्त 2018 में हुए खेलों में 85.73 मीटर थ्रो करके चौथे स्थान पर रहने के बाद चोपड़ा पहली बार डायमंड लीग में खेलेंगे, नीरज पहले 7 डायमंड लीग खेल चुके है जिनमें तीन 2017 में और चार 2018 में खेली थी, लेकिन इसमें एक भी पदक नही जीत पाए।
अमेरिका में अगले महीने होने वाली विश्व चैम्पियनशिप से पहले चोपड़ा के लिये यह सबसे बड़ा टूर्नामेंट है। इसमें टोक्यो ओलंपिक के तीनों पदक विजेता मैदान में होंगे। मौजूदा दौर के भालाफेंक खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा बार 90 मीटर की बाधा पार करने वाले जर्मनी के जोहानेस वेटर चोट के कारण बाहर हैं।
नीरज कुओर्ताने में स्वर्ण जीतने के बाद यहां से सौ किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित उपसाला में अभ्यास कर रहे हैं। वह डायमंड लीग के बाद और 15 जुलाई से होने वाली विश्व चैम्पियनशिप से पहले कोई और टूर्नामेंट नहीं खेलेंगे।
वहीं भारत के मुरली श्रीशंकर को भी इसमें लंबी कूद में भाग लेना था जो डायमंड लीग कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं लेकिन अतिरिक्त प्रतियोगिता के रूप में शामिल हैं। हालांकि विश्व चैम्पियनशिप के लिये वीजा औपचारिकतायें पूरी करने के लिये उनका पासपोर्ट दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में होने के कारण वह पहुंच नही पायेंगे।