एथलेटिक्स
ओलंपिक में पदक जीतने से बड़े ही करीब से चूकी थी भारत की दिग्गज धावक पीटी उषा, उनके 58वें जन्मदिन पर जानिए उनसे जुड़े कुछ तथ्य
पीटी उषा को अर्जुन अवॉर्ड और पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है
भारत के एथलेटिक्स इतिहास में कुछ चुनिंदा ही एथलीट रहे हैं, जिन्होंने ओलिंपिक और एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और देश के लिए पदक जीता है। इनमें से ही एक है भारत की दिग्गज एथलीट पीटी उषा। जिन्होंने न सिर्फ ओलपिंक और एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, बल्कि देश के लिए कई पदक भी जीते हैं। पीटी उषा आज अपना 58वां जन्मदिवस मना रही है। आइये जानते हैं उनके जन्मदिवस उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।
पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल के कोझिकोड स्थित पय्योली गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम इ. पी. एम. पैतल एवं माता का नाम टी. वी. लक्ष्मी है। बचपन में पीटी उषा की सेहत बहुत ख़राब थी, लेकिन प्राइमरी स्कूल के दिनों में उन्होंने अपनी सेहत को सुधार लिया था। पीटी उषा को बचपन से ही खेलों में बहुत रुचि थी। जब उनके माता-पिता को यह बात पता चली तो उनके माता-पिता ने भी उन्हें इसके लिए प्रेरित किया। उसी दौरान वर्ष 1976 में केरल सरकार ने कन्नूर में एक महिला खेल सेंटर की शुरुआत की। जिसके बाद पीटी उषा 'महिला खेल सेंटर' में शामिल हो गई। 12 साल की पीटी उषा उन 40 महिलाओं में से थी, जिनका चयन यहाँ ट्रेनिंग के लिए किया गया था। यहाँ उनके पहले कोच ओ. एम्. नम्बिअर थे।
इसी दौरान पीटी उषा ने एक स्कूल प्रतियोगिता में अपनी सीनियर को हरा दिया, जो स्कूल चैंपियन थी। उनकी इस प्रतिभा को ओम नांबियार ने तरासा था, जो हमेशा उनके निजी कोच के तौर पर साथ रहे। असल में पीटी उषा की परीक्षा बड़े मंच पर 1980 में हुई थी, जब उन्होंने कराची में नेशनल पाकिस्तान गेम्स में 100 और 200 मीटर की रेस जीती थी। पीटी उषा देश की पहली और सबसे युवा महिला एथलीट हैं, जिन्होंने 1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों में भाग लिया था। उस समय वे 26 साल की थीं। उन्होंने 1981 में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीता था। 1982 के एशियन गेम्स में उन्होंने 100 और 200 मीटर की रेस में रजत पदक अपने नाम किया था। पीटी उषा भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने ओलंपिक ट्रैक इवेंट के फाइनल में जगह बनाई थी।
1984 के लोज एंजलिस ओलंपिक खेलों में पीटी उषा 400 मीटर की रेस में चौथे स्थान पर रही थीं और कांस्य पदक महज कुछ ही पलों के अंतर के कारण हार गई थीं। ऐसा ही कुछ मिल्खा सिंह के साथ भी हुआ था। 1985 की एशियन चैंपियनशिप में पीटी उषा ने अलग-अलग प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण पदक जीते थे। ये एक महिला के लिए एक इवेंट में सबसे ज्यादा पदक थे। पीटी उषा को अर्जुन अवॉर्ड और पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।