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खिलाड़ी और राजनीति

EXCLUSIVE: शूटर्स दादी को ढूंढकर सामने लाने वाले डॉ राजपाल का दादियों के साथ रिश्ता ख़त्म, शूटिंग रेंज में भी लगाई पाबंदी

EXCLUSIVE: शूटर्स दादी को ढूंढकर सामने लाने वाले डॉ राजपाल का दादियों के साथ रिश्ता ख़त्म, शूटिंग रेंज में भी लगाई पाबंदी
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Syed Hussain

Published: 28 Oct 2019 9:24 AM GMT

हाल ही में बॉलीवुड की चर्चित फ़िल्म 'सांड की आंख' रिलीज़ हुई है जो प्रकाशी तोमर और चंद्रो तोमर की ज़िंदगी पर आधारित है, हर तरफ़ से इस फ़िल्म को ख़ूब तारीफ़ मिल रही है। इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे डॉ राजपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश के बाग़पत में स्थित एक छोटे से गांव में शूटिंग अकादमी खोली और फिर वहां से दो दादियों को खोजा जिसने उस गांव और वहां की बच्चियों की तक़दीर ही बदल दी।

शूटर्स दादी पर आधारित फ़िल्म सीधे 'सांड की आंख' पर निशाना लगाती है

प्रकाशी तोमर की बेटी सीमा तोमड़ भी उसी अकादमी से निकलकर आईं और फिर उन्होंने 2010 शॉटगन वर्ल्डकप में रजत पदक जीता, ऐसा करने वाली वह भारत की पहली और इकलौती महिला हैं। द ब्रिज हिन्दी के कंटेंट हेड सैयद हुसैन के साथ सीमा तोमर ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की, जिसमें उन्होंने एक बड़ा ख़ुलासा भी किया। सीमा तोमर ने अपनी और दोनों दादियों की उपलब्धियों का श्रेय तो डॉ राजपाल को दिया लेकिन साथ ही साथ बताया कि ''दादियों की सफलता को डॉ राजपाल सहन नहीं कर पाए, और उनसे बातचीत बंद कर दी और दादियों के शूटिंग रेंज पर आने से भी पाबंदी लगा दी। साथ ही जो बच्चे दादियों का नाम लेकर सीखने आते हैं, उन्हें भी डॉ राजपाल अपनी अकादमी से बाहर कर देते हैं।''

आपको ये भी बताते चलें कि फ़िल्म सांड की आंख में सारे किरदारों का वही नाम है जो असल ज़िंदगी में भी है, लेकिन डॉ राजपाल का नाम इस फ़िल्म में डॉ यशपाल रखा गया है और वह भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उनके रिश्ते शूटर्स दादी के साथ अब अच्छे नहीं हैं।

ये भी जानिए कि कौन हैं डॉ राजपाल और कैसे उन्होंने शूटर्स दादी को ढूंढा

''हम कभी भी डॉ राजपाल सिंह के ख़िलाफ़ नहीं रहे हैं, क्योंकि गुरु हमेशा गुरु रहता है फिर चाहे परिस्थितियां कुछ भी हों। हालांकि दादियों की सफलताओं के बाद उनका रवैया बिल्कुल बदल गया, जब दादी का इंटरव्यू होने लगा, शोहरत मिलने लगी तो इस बात को डॉ राजपाल सहन नहीं कर पाए। और इतना ही नहीं इसके बाद उन्होंने दादियों की शूटिंग रेंज में आने पर भी पाबंदी लगा दी। यहां तक कि दादियों का नाम लेकर जो बच्चे शूटिंग सीखने जाते थे डॉ राजपाल उन्हें भी लौटा दिया करते थे। ये बात हम सभी के दिल पर बहुत ज़्यादा ठेंस पहुंचा गई और यही वजह है कि फ़िल्म में हमने उनका असली नाम नहीं रखने की सलाह दी थी।'' : सीमा तोमर, प्रकाशी तोमड़ की बेटी और शॉटगन में ट्रैप शूटर

शूटर दादी के साथ सीमा तोमर

हालांकि सीमा तोमर ने कहा कि इसके बाद भी उन्हें स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए प्रकाशी तोमर और चंद्रो तोमर दोनों ने बुलाया था, पर वह नहीं आए।

''हालांकि मूवी रिलीज़ के बाद हमने उन्हें भी आने का न्योता दिया, क्योंकि हम सभी ने फ़िल्म अपने ही गांव में एक स्पेशल स्क्रीनिंग के ज़रिए देखी थी जिसमें मां (प्रकाशी तोमर) और ताई (चंद्रो तोमर) के अलावा सभी क़रीबी और मीडिया के लोग थे। लेकिन उन्होंने न ही किसी तरह का कोई जवाब दिया और न ही आए।'': सीमा तोमर, प्रकाशी तोमर की बेटी और शॉटगन में ट्रैप शूटर

जब हमने उनसे ये जानना चाहा कि डॉ राजपाल के इस रवैया का असर गांव वालों पर क्या पड़ा और उनकी अकादमी में आने वाले बच्चे इसको कैसे देखते हैं, तो सीमा तोमर के जवाब में दर्द साफ़ झलक रहा था।

''डॉ राजपाल जी ने जिस तरह हमारी मां और ताई के साथ सलूक़ किया है उससे सभी को निराशा हाथ लगी है। हमारे साथ साथ आस पास के लोगों ने भी अच्छा नहीं माना, इसका असर उनकी शूटिंग रेंज पर भी पड़ा है। अब डॉ राजपाल सिंह की अकादमी में गिने चुने बच्चे जाते हैं, जबकि पहले वहां भीड़ लगी रहती थी।'' : सीमा तोमर, प्रकाशी तोमर की बेटी और शॉटगन में ट्रैप शूटर

https://youtu.be/wnrJXX8m9PY
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