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आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर की बास्केटबॉल खिलाड़ी का जब आर्मी के जवानों ने आधी रात को दरवाज़ा खटखटाया
![आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर की बास्केटबॉल खिलाड़ी का जब आर्मी के जवानों ने आधी रात को दरवाज़ा खटखटाया आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर की बास्केटबॉल खिलाड़ी का जब आर्मी के जवानों ने आधी रात को दरवाज़ा खटखटाया](https://thebridge.in/wp-content/uploads/2019/09/Ishrat-Akhtar.jpg)
भारत ने ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए कश्मीर से धारा 370 हटा दिया है, कहीं इसका विरोध हो रहा है तो कोई इसकी तारीफ़ कर रहा है। घाटी में भी हालात को लेकर कई तरह की ख़बरें हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जो किसी भी तरह की सियासी ख़बर नहीं है बल्कि ये एक बास्केटबॉल खिलाड़ी इशरत अख़्तर की आपबीती है। जिसने इस व्हिलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी की ज़िंदगी बदल दी और हो सकता है कश्मीर के छोटे से गांव में रहने वाली इस खिलाड़ी का टोक्यो जाने का सपना भी सच हो जाए।
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दरअसल, इशरत अख़्तर एक व्हिलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं और उनका चयन एशियन ओशियाना व्हिलचेयर बास्केटबॉल टूर्नामेंट के लिए हुआ था जो थाईलैंड में नवंबर-दिसंबर में होना है। ये टूर्नामेंट टोक्यो 2020 पैरालंपिक क्वालिफ़ायर्स भी है, इसके लिए उन्हें चेन्नई में 27 अगस्त से पहले पहुंचना था लेकिन आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में फ़ोन और इंटरनेट सेवा बंद थीं, इसलिए व्हिलचेयर बास्केटबॉल फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (WBFI) का इशरत से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। आर्टिकल 370 हटे अब क़रीब 20 दिन हो गए थे और अगस्त की 25 तारीख़ हो चुकी थी लेकिन इशरत को कुछ जानकारी भी नहीं थी कि उन्होंने भारतीय व्हिलचेयर बास्केटबॉल टीम में जगह बना ली है।
इसे क़िस्मत कहें या फिर ऊपर वाले की मसलेहत, हुआ ये कि भारतीय महिला व्हिलचेयर बास्केटबॉल टीम के कोच लुईस जॉर्ज ने इसी तरह कश्मीर के हालातों का हालचाल लेने के लिए अपने एक मित्र से बात की जो इत्तेफ़ाक से भारतीय इंटेलिजेंस ब्यूरो में भी काम कर चुके थे और अब रिटायर्ड हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने बस ऐसेही कहा कि हमारी एक खिलाड़ी है जिसका चयन हुआ है लेकिन उसतक कोई जानकारी नहीं पहुंच पाई है और उसे दो दिन बाद चेन्नई में रिपोर्ट भी करना था।
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ये सुनने के बाद कोच के मित्र ने उनसे इशरत का पता और फ़ोटो मांगी, कोच के पास फ़ोटो तो थी लेकिन इशरत का पूरा पता नहीं था। वह बस इतना जानते थे कि इशरत कश्मीर के एक छोटे से गांव बंगदारा में कहीं रहती है, जो बारामुला में है। इशरत की फ़ोटो कोच के मित्र ने अपने सूत्रों के ज़रिए पुलिस थानों में दे दी और पता लगाने के लिए कहा। इसके बाद भारतीय आर्मी का एक दल बंगदारा में पहुंचा और हर एक घर में इशरत की फ़ोटो दिखाते हुए उसके बारे में पूछने लगे थे।
25 अगस्त की ही रात, आर्मी के जवान इसी तरह एक घर में पहुंचे और दरवाज़ा खटखटाया। एक शख़्स दरवाज़ा खोलता है, जो इशरत के पिता अब्दुल राशिद मीर थे। वह अपने घर के बाहर आर्मी के जवानों को देखकर डर गए, आर्मी के जवानों के हाथ में उनकी बेटी की तस्वीर थी और वह पूछ रहे थे कि क्या आप इस लड़की को जानते हैं ? राशिद आर्टिकल 370 हटने के बाद और भी डरे हुए थे और इशरत की फ़ोटो आर्मी जवानों के हाथ में देखकर वह घबरा भी रहे थे, एक आर्मी के जवान ने पूछा, ‘’क्या ये तुम्हारी बेटी है’’ ?
इशरत के वालिद के मुंह से डरते डरते हां निकला, जिसके बाद आर्मी के सभी जवान ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। इशरत के वालिद को समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है। तभी एक जवान ने बोला, ‘’मुबारक हो आपकी बेटी का भारतीय बास्केटबॉल टीम में चयन हो गया है और उसे कल सुबह चेन्नई जाना है।‘’
इसके बाद जो डर और घबराहट थी वह ख़ुशी में बदल चुकी थी और पूरे परिवार वालों के आंखों में ख़ुशी के आंसू आ गए थे, सभी ने आर्मी जवानों का शुक्रिया अदा किया।
‘’जब आधी रात को कोई हमारा दरवाज़ा खटखटा रहा था तो हम सभी डर गए थे, क्योंकि उस वक़्त कश्मीर में बहुत कुछ चल रहा था और हालात अच्छे नहीं थे। लेकिन जब मुझे ये पता चला कि मेरा चयन भारतीय टीम में हो गया है तो मैं ख़ुशी से पागल हो गई और पिता जी के गले लग गई।‘’ : इशरत अख़्तर, खिलाड़ी, भारतीय व्हिलचेयर बास्केटबॉल टीम
इशरत और उनके कोच लुईस ने भी अपने मित्र और रिटायर्ड आईबी अधिकारि का दिल से शुक्रिया अदा किया।
‘’मेरे मित्र इसेनहोवर ने जो किया है उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है, सिर्फ़ उन्हीं की बदौलत इशरत को आर्मी के जवानों ने खोजा और उसे चेन्नई तक लाए। चेन्नई की टिकेट से लेकर दूसरे सारे इंतज़ाम भी इसेनहोवर ने ही किए।‘’ : लुईस जॉर्ज, कोच, भारतीय व्हिलचेयर बास्केटबॉल महिला टीम
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इशरत इसके बाद चेन्नई भी पहुंची और जमकर मेहनत कर रही हैं, और उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका वह सपना साकार होने जा रहा है, जिसके बारे में उन्होंने शायद सपने में भी नहीं सोचा था।
‘’मैं इसका श्रेय अपने पिता को देती हूं, मेरे माता पिता ने हमेशा मेरा समर्थन किया। उन्होंने मुझे बास्केटबॉल खेलने से कभी मना नहीं किया। यही वजह है कि मेरे आस पास के लोग मुझे मेरे नाम से ज़्यादा बास्केटबॉल खिलाड़ी के तौर पर जानते हैं। मेरे पिता रोज़ाना मुझे बस से श्रीनगर ले जाते थे जहां ट्रेनिंग सेंटर था। लेकिन मैं कभी कश्मीर से बाहर निकलूंगी या थाईलैंड जाकर बास्केटबॉल खेलूंगी ये सपने में भी नहीं सोचा था।‘’ : इशरत अख़्तर, खिलाड़ी, भारतीय व्हिलचेयर बास्केटबॉल टीम
भारतीय व्हिलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी इशरत अख़्तर से खेल मंत्री किरेण रिजीजू की भी मुलाक़ात हुई है और उन्होंने भी इशरत को हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है।
बेशक, इशरत की ये कहानी सभी के लिए प्रेरणा के साथ साथ एक सबक़ भी है कि अगर आप दिल से किसी चीज़ को चाहेंगे तो फिर ऊपर वाला भी किसी को फ़रिश्ते के तौर पर आपका ज़रिया बना देता है, जैसा इशरत की कहानी में उनके कोच और कोच के मित्र सामने आए।