खिलाड़ी की ज़ुबानी
ओलंपिक गोल्ड मेडल के लिए मेरे अलमारी में अभी जगह ख़ाली है: पी वी सिंधु
वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनी पी वी सिंधु का सपना अभी साकार नहीं हुआ है। क्योंकि उन्हें रियो ओलंपिक के फ़ाइनल में मिली हार की टीस आज भी, हालांकि उन ज़ख्मों पर BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप के गोल्ड मेडल ने कुछ हद तक मरहम का काम ज़रूर किया है पर सिंधु को इंतज़ार ओलंपिक गोल्ड मेडल का है।
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प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (PTI) से बात करते हुए पी वी सिंधु की बातों में रियो ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक चूकने का ग़म भी छलका तो साथ ही साथ वर्ल्ड चैंपियन बनने की ख़ुशी भी झलकी।
‘’ये सच है कि वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतना पिछले सभी हार के दुखों को कम कर देता है। क्योंकि लोगों ने तो मुझे फ़ाइनल फ़ोबिया बना दिया था, और यही बात करते थे कि फ़ाइनल में हारना सिंधु की आदत है। मुझे लगता है कि मैंने उन सभी को अपने रैकेट से जवाब दे दिया है। लेकिन ओलंपिक एक अलग ही सुखद अहसास दिलाता है, मुझे अभी भी लगता है कि एक गोल्ड मेडल अभी भी मेरे पास नहीं है। अभी बी मेरी अलमारी में ओलंपिक गोल्ड मेडल की जगह ख़ाली है। मैं पूरी कोशिश करूंगी कि इस बार टोक्यो में मैं इस जगह को भी भर दूं।‘’ : पी वी सिंधु, भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी
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सिंधु ने ये भी माना कि अब टोक्यो की राह आसान नहीं बल्कि और भी मुश्किल हो गई है क्योंकि मेरी प्रतिद्वंदी अब मेरी हर एक कमज़ोरी पर फ़ोकस करेंगी।
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“रियो 2016 मेरा पहला ओलंपिक था और तब मुझे ज़्यादा नहीं पहचानते थे, न ही मेरा खेल मेरे प्रतिद्वंदी ने अच्छे से देखा था। लेकिन अब चीज़ें पूरी तरह बदल गई हैं, अब सभी नई तरकीबें लेकर सामने आएंगे और मुझे भी कुछ नया सीखना और करना होगा। मैं किम के साथ लगातार मेहनत कर रही हूं और वह भी मेरे खेल को और बेहतर बनाने में भरसक प्रयास कर रही हैं।‘’ : पी वी सिंधु, भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी
पी वी सिंधु अभी विश्व में पांचवीं रैंकिंग पर है और उनका रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई करना क़रीब क़रीब तय है। अगले दो हफ़्तों में पी वी सिंधु दो बड़े टूर्नामेंट में नज़र आएंगी, पहले वह 17 सितंबर से शुरू हो रहे चाइना ओपन में दिखेंगी उसके बाद 24 सितंबर से सिंधु के सामने कोरिया ओपन की चुनौती होगी।