Commonwealth Games 2022: भारोत्तोलन में गुरुराजा पुजारी ने जीता कांस्य पदक, भारोत्तोलक से पहले पहलवानी का था शौक

गुरुराजा पुजारी ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 61 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया हैं।

Update: 2022-07-30 13:43 GMT

राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन भारत का लगातार शानदार प्रदर्शन जारी हैं। भारत ने अब तक दोनो पदक भारोत्तोलन में हासिल किए हैं। पहले संकेत सहगर भारोत्तोलन में रजत पदक दिलाकर भारत का खाता खोला, और अब पुरुष स्पर्धा में भारत के अनुभवी भारोत्तोलक गुरुराजा पुजारी ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया हैं। उन्होंने 61 किलोग्राम भार वर्ग में यह पदक हासिल किया हैं।

कर्नाटक में जन्मे दिग्गज खिलाड़ी गुरूराजा को अब तक बहुत कम लोग जानते थे लेकिन अपने शानदार प्रदर्शन से आज उन्होंने पूरी दुनिया में अपना नाम बना लिया हैं।

यहां तक का सफ़र गुरुराजा के लिए आसान नहीं था। गुरुराजा के पिता एक ट्रक ड्राइवर हैं, उनके चार भाई और हैं। जिस वजह से उनके पिता उनको वो डाइट नही दे पाते थे जिसकी उनको जरूरत थी। कम आमदनी होने के कारण गुरुराजा के परिवार का गुजर बसर मुश्किल से होता था। इन सारी दिक्कतों के बाद भी भारत के दमदार खिलाड़ी गुरूराजा ने हार नही मानी और अपनी मेहनत को चालू रखा।

यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी की गुरुराजा भारोत्तोलक से पहले पहलवान थे। 2008 में ओलंपिक खेलों में सुशील कुमार के द्वारा पदक जीतने से वह बहुत प्रभावित हुए थे जिसके बाद गुरूराजा ने ठान लिया कि वह भी देश के लिए पदक जीतकर लायेंगे। जिसके बाद उन्होंने कुश्ती खेलना शुरू किया पर स्कूल टीचर ने उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें भरोत्तोलन में किस्मत आजमाने की सलाह दी। टीचर की बात मानकर उन्होंने कुश्ती छोड़कर भारोत्तोलन की तरफ अभ्यास करना शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नही देखा।

बता दें इससे पहले गुरुराजा ने पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में 249 किलो भार उठाकर रजत पदक हासिल किया था, और सिर्फ अपना ही नही बल्कि देश का नाम भी रौशन किया था।

गौरतलब है कि गुरुराजा एयरफोर्स में तैनात हैं। छोटे कद की वजह से उन्हें सेना में नौकरी नहीं मिल पाई थी, लेकिन एयरफोर्स में उन्हें जगह दी गई।

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