Commonwealth Games 2022: रजत पदक विजेता बिंदियारानी मीराबाई चानू को मानती है अपनी प्रेरणा, पैसे न होने पर मीरा ने तोहफे में दिए थे जूते

बिंदियारानी मणिपुर की उसी एकेडमी में ट्रेनिंग करती हैं, जहां से निकलकर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में झंडा गाड़ा था।

Update: 2022-07-31 09:09 GMT

राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन भारत की झोली में चार पदक आए, देश के लिए चारों पदक भरोत्तोलन से हासिल हुए। भारत का खाता खोलते हुए दूसरे दिन सबसे पहले संकेत सहगर ने रजत पदक जीता, उसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों में पहले भी पदक जीत चुके गुरुराजा पुजारी ने इस बार कांस्य पदक हासिल किया।

दूसरे ही दिन भारत के लिए पहला सोना स्टार एथलीट मीराबाई चानू ने अपने नाम कर देश का मान बढ़ा दिया। भरोत्तोलकों के जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा और मीराबाई के बाद देश को चौथा पदक बिंदियारानी देवी ने दिया।

बिंदियारानी ने महिलाओं के 55 किलो भार वर्ग में रजत पदक जीता और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाली चौथी भारतीय भरोत्तोलक बनी।

पदक जीतने से पहले बिंदियारानी को शायद कुछ ही लोग जानते हो। मणिपुर में जन्मी बिंदिया मीराबाई चानू को अपनी प्रेरणा मानती हैं। बिंदियारानी मणिपुर की उसी एकेडमी में ट्रेनिंग करती हैं, जहां से निकलकर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में झंडा गाड़ा था। बिंदियारानी और मीराबाई की जिंदगी की कहानी कई हद तक मिलती हैं। मीराबाई की ही तरह मणिपुर के गरीब परिवार में जन्मी बिंदिया के पास जूते खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। तब मीराबाई ने बिंदिया को तोहफे के रूप में जूते भेंट किए थे, बिंदिया शुरू से ही स्वर्ण पदक विजेता मीराबाई चानू की फैन रही रहीं हैं।

उन्होंने कई बार कहा है कि टोक्यो ओलंपिक की स्टार भरोत्तोलक ने उनके खेल जीवन में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई है। राष्ट्रमंडल खेलों में रजत जीतने के बाद बिंदियारानी ने कहा,"मेरी सफलता में 'मीरा दी' की अहमियत काफी ज्यादा है, वह ट्रेनिंग में मेरी मदद के लिए हमेशा मौजूद रहती हैं। जब मैं कैंप में नई थी, तो उन्होंने मुझे माहौल में ढलने में मदद की। दीदी को पता था कि मेरे पास लिफ्टिंग शूज़ खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन उन्होंने मुझे वो जूते गिफ्ट कर दिए, वह मेरे लिए हमेशा से ही प्रेरणास्रोत रहीं हैं,उनकी विनम्रता ने मुझे उनका और बड़ा फैन बना दिया।"

बता दें बिंदियारानी ने अपनी पहचान दिसंबर 2021 में विश्व चैम्पियनशिप में 55 किलो भार वर्ग के क्लीन एंड जर्क में स्वर्ण पदक जीतकर बनाई थी। तब उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के टेस्ट इवेंट चैम्पियन को हराया था।

बिंदिया का अगला लक्ष्य एशियाई खेल और फिर 2024 पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण जीतने का हैं। रजत पदक जीतने के बाद उन्होंने कहा,"आज मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। सोना मेरे हाथ से फिसल गया। जब मैं पोडियम पर थी, तो मैं केंद्र में नहीं थी, अगली बार बेहतर करूंगी। मेरा अगला लक्ष्य राष्ट्रीय खेल, विश्व चैम्पियनशिप, एशियाई खेल और फिर 2024 पेरिस ओलंपिक हैं। मैं उनमें बेहतर प्रदर्शन करूंगी।"

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