जेरमी लालरिनुनगा ने किस लिए खट-खटाया साई का दरवाजा? 

Update: 2019-03-18 11:19 GMT

भारत को यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने वाले जेरमी लालरिनुनगा की दादी की मौत इस प्रतियोगिता के दौरान हो गई थी। बावजूद इस दुख के माहौल में वेटलिफ्टर जेरमी ने घर जाना उचित ना समझकर देश को सर्वोपरि रखा। लेकिन अब अमर उजाला में छपी खबरों के मुताबिक टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम में शामिल जेरमी ने भारतीय खेल प्राधिकरण से गुहार लगाई है कि उनके राज्य मिजोरम में अत्याधुनिक प्लेटफार्म और वेटलिफ्टिंग सेट मुहैया करा दिया जाए जिससे उनके घर जाने पर उनका अभ्यास ना छूटे।

ऐसे में सभी को उम्मीद है भारतीय खेल प्राधिकरण उनका यह प्रस्ताव मंजूर कर लेगा। इससे पहले उत्तर-पूर्व भारत से आने वाली मीराबाई चानू की अर्जी पर उन्हें इस तरह की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी। बता दें कि जेरमी को घर गए तकरीबन 2 साल हो गए हैं। इस दौरान उनके सामने ओलंपिक क्वालिफायर एशियाई चैपिंयनशिप है

पहले यूथ ओलंपिक और अब ओलंपिक क्वालिफायर एशियाई चैंपियनशिप की तैयारियों के लिए जेरमी को घर नहीं भेजा गया है।

जेरमी को टोकियो और पेरिस ओलंपिक में पदक का दावेदार माना जा रहा है। अब भारतीय वेटलिफ्टिंग महासंघ को भी ऐसा लगता है कि ओलंपिक की तैयारियों के लिए जेरमी का कुछ दिनों के लिए घर जाना जरूरी है। उनका ट्रेनिंग में एक जैसा रुझान बना रहे और वह इससे भागे नहीं इसी को ध्यान में रखते हुए 18 से 28 अप्रैल से निंगबो (चीन) में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप के बाद उन्हें उनके घर भेजने का फैसला लिया गया है। लेकिन इस निर्णय पर अंतिम मुहर भारतीय खेल प्रधिकरण को लगानी है। साथ ही जेरमी के कोच विजय शर्मा का भी ये मानना है कि अगर इस युवा वेटलिफ्टर को अभ्यास से कुछ दिन भी दूर रखा गया तो उनके प्रदर्शन पर असर पड़ेगा।

यही वजह है कि फेडरेशन की सहमति के बाद जेरमी ने भारतीय खेल प्राधिकरण से अपने घर पर साढ़ 6 लाख रूपये की लागत से प्लेटफार्म और वेटलिफ्टिंग सेट लगाने का प्रस्ताव रखा है। मीराबाई चानू पर भी कुछ ऐसा प्रयोग किया गया था। मीराबाई के गांव के लोगों ने उन्हें जमीन मुहैया कर दी थी। जिस पर साई ने वेटलिफ्टिंग प्लेटफॅार्म लगववाया था। जहां पर गांव की अन्य लड़कियां भी अभ्यास करती है।

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