डराने वाले इतिहास और मुश्किल भविष्य की नईया कैसे पार लगाएंगे भारतीय रोवर्स ?

Update: 2019-08-20 11:40 GMT

रोविंग चैम्पियनशिप में हमेशा से यूरोपियन देशों ने कब्ज़ा जमाये रखा है, एशियाई देशों में चीन के अलावा कोई देश नहीं जिसने इन खेलों में मेडल जीता हो। ऐसे में भारत के खिलाड़ियों से उम्मीद अपने आप कम हो जाती है, सबसे हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक भारत का सबसे अच्छा प्रदशन 2013 में सवर्ण सिंह ने किया था जहाँ वह 12 वें स्थान पर आए थे।

पर 2018 के एशियाई खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भारतीय खिलाड़ियों का कॉन्फिडेंस बढ़ा है और वह अपनी रैंक में बेहतरी की उम्मीद से प्रतियोगिता में उतरेंगे|

एशियाई खेलों भारतीय रोविंग टीम का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा

इन खेलों की अहमियत का अंदाज़ा इसी बात से ललगाया जा सकता है कि इस बार के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 80 देशों में से 1,200 (अभी तक के सबसे ज़्यादा) खिलाड़ियों ने भाग लिया है। यह प्रतियोगिता इसलिए भी जरुरी है क्योंकि यह एक तरीके से टोक्यो 2020 ओलंपिक्स और पैरालिम्पिक्स में क्वालिफिकेशन करने में मदद करता है, यह टूर्नामेंट ऑस्ट्रिया में 25 अगस्त से 1 सितम्बर तक होगा।

हालांकि रोविंग में इटली, जर्मनी, अमेरिका और फ्रांस जैसे देश कब्ज़ा जमाएं हुए हैं पर भारत के लिए यह चांस है अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपना दम खम दिखाने का।

सवर्ण सिंह ने मेंस सिंगल्स स्कल्स में कांस्य जीता था

रोविंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने इन खिलाड़ियों को खुद चुना है, यह 10 खिलाड़ी पांच प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे जिनमे पुरषों का सिंगल्स स्कल्स, पुरषों का युगल्स स्कल्स, पुरषों का लाइटवेट स्कल्स, पुरषों का लाइटवेट युगल स्कल्स और पुरषों का ही कॉक्सलेस फोर्स है। इस टीम में सवर्ण सिंह भी हैं जो 2018 के एशियाई खेलों में क्वाड्रपल स्कल्स के गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं और सिंगल स्कल्स इवेंट में कांस्य पदक विजेता रहे हैं। टीम में लाइटवेट युगल के लिए एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता रोहित कुमार और जसवीर सिंह के अलावा अरुणलाल जाट, अरविन्द सिंह, गुरिंदर सिंह, गुरमीत सिंह, पुनीत कुमार और जसवीर सिंह भी शामिल हैं।

इंडियन रोविंग टीम के चीफ कोच इस्माइल बेग का कहना है कि कम्पटीशन के स्तर को देखते हुए मेडल की आशा करना बड़ी बात होगी पर हमारी टीम ने काफी तैयारी की है।

Similar News